लांजीगढ़, कालाहांडी, 13 नवम्बर 2025: भारत के सबसे बड़े एल्युमिनियम उत्पादक वेदांता एल्युमिनियम ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी की लांजीगढ़, ओडिशा स्थित एलुमिना रिफाइनरी को भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा उसके CII प्लास्टिक यूज़ प्रोटोकॉल के तहत ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक फ्री यूनिट’ का प्रमाणपत्र दिया गया है।
अक्टूबर 2025 में दिया गया यह सर्टिफिकेट, वेदांता लांजीगढ़ द्वारा अपने पूरे संचालन क्षेत्र में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में की गई सफलता को मान्यता देता है। यह उपलब्धि कंपनी की पर्यावरण संरक्षण और स्थिर विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है और भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सतत प्रथाओं के लिए एक नया मानक स्थापित करती है।
पिछले एक वर्ष के दौरान, वेदांता लांजीगढ़ ने अपने सभी ऑपरेशनल क्षेत्रों और आवासीय टाउनशिप में सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया। प्लास्टिक की जगह अब इको-फ्रेंडली विकल्प जैसे बायोडिग्रेडेबल कंटेनर और कपड़े के थैले का उपयोग किया जा रहा है। लोगों में जागरूकता लाने और व्यवहार में बदलाव के लिए, कंपनी ने नियमित रूप से वर्कशॉप्स और जागरूकता अभियान आयोजित कीं, जिनमें 1,100 से ज्यादा कर्मचारियों और 1,500 बिज़नेस पार्टनर्स ने हिस्सा लिया। इस पहल के परिणामस्वरूप, साइट पर 2,500 किलो प्लास्टिक कचरे में कमी आई, जिससे कंपनी का पर्यावरणीय प्रभाव घटाने का वादा और मजबूत हुआ।
इस उपलब्धि पर बात करते हुए, प्रणब कुमार भट्टाचार्य, सीईओ, वेदांता एल्युमिना बिज़नेस, ने कहा,
“यह सम्मान हमारे इस विश्वास को मजबूत करता है कि जिम्मेदार संचालन और व्यवसायिक उत्कृष्टता, दोनों साथ–साथ चलते हैं। वेदांता लांजीगढ़ में, स्थिरता हमारे ग्रोथ स्ट्रेटेजी का एक अहम हिस्सा है। हमारी हर पहल का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए दीर्घकालिक मूल्य निर्माण करना है। यह उपलब्धि दिखाती है कि अनुशासित कार्यान्वयन और सामूहिक जिम्मेदारी के ज़रिए हम अपनी सस्टेनेबिलिटी कमिटमेंट्स को ठोस नतीजों में बदल सकते हैं।”
वेदांता लांजीगढ़ लगातार अपने सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है। कंपनी कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण, जैव विविधता संवर्धन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में कई पहलों पर काम कर रही है।
कंपनी के सभी प्रयास ‘जीरो हार्म, जीरो वेस्ट, जीरो डिस्चार्ज’ के वेदांता विज़न से प्रेरित हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यवसायिक विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी, दोनों एक साथ आगे बढ़ें।

